दहेज समाज के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। दुल्हन के परिवार द्वारा, दूल्हे के परिवार को नगद संपत्ति अथवा वस्तुओं के रूप में उपहार देने की प्रक्रिया दहेज प्रथा कहलाती है। यह प्रथा महिलाओं के लिए है। इसके कारण समाज में अनेक बुराइयों का तथा अपराधों का विकास हुआ है।

EssayToNibandh.com पर आज हम ‘दहेज प्रथा पर निबंध’ पढ़ेंगे। जो की अलग अलग शब्द सीमा के आधार पर लिखे गए हैं। आप Dahej Pratha Par Nibandh In Hindi को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें।
दहेज प्रथा हिंदी में को निम्न शब्द सीमा के आधार पर लिखा गया है-
- दहेज प्रथा पर निबंध 50 शब्दों में
- दहेज प्रथा पर निबंध 100 शब्दों में
- Dahej Pratha Par Nibandh In Hindi 150 Word Mein
- Dahej Pratha Par Nibandh Hindi Mein 200 Shabdo Mein
- दहेज प्रथा पर निबंध 250 शब्दों में
- Dahej Pratha Par Nibandh 300 Word Mein
- दहेज प्रथा पर निबंध 400 शब्दों में
- दहेज प्रथा पर निबंध 500 शब्दों में
आइये! Dahej Pratha Nibandh को अलग अलग शब्द सीमाओं के आधार पर पढ़ें।
नोट- यहां पर दिया गया दहेज प्रथा निबंध हिंदी में कक्षा(For Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12,(विद्यालय में पढ़ने वाले) विद्यार्थियों के साथ-साथकॉलेज के विद्यार्थियों के लिए भी मान्य हैं।
दहेज प्रथा पर निबंध 50 शब्दों में
दहेज प्रथा आज की एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में उभर कर आगे आ रही है।
दहेज प्रथा की शुरुआत इस उद्देश्य से की गई थी कि लड़की की आर्थिक रूप से मदद की जा सके और उनके नए जीवन की एक अच्छी शुरुआत हो, मगर धीरे-धीरे यह कुप्रथा में बदल गई।
सरकार के लाखों प्रयासों के बाद भी लोगों की छोटी सोच के कारण यह प्रथा आज भी समाज में फ़ैल रही है।
कब तक वो यूं,
अबला बनकर चीखेगी चिल्लाएगी,
कब तक नारी यूं,
तू दहेज की बलि चढ़ाई जाएगी।
दहेज प्रथा पर निबंध 100 शब्दों में
आज कल हमारे समाज में दहेज प्रथा खुली तरह से खेली जा रही है। दहेज लेना या दहेज की मांग करना कानूनी जुर्म है। फिर भी अभी तक इसका अंत नहीं हो पाया है।
आज भी 70% से ज्यादा लोग दहेज प्रथा का अनुसरण कर रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि दहेज प्रथा के खिलाफ सख्त कानूनों का निर्माण हो।
दहेज तो समाज पर वह अभिशाप है,
जहां बाप पूछता है क्या बेटी होना पाप है।
दहेज प्रथा के कारण ही हमारा समाज आज भी पिछड़ा है और हम आज भी लड़का-लड़की में अंतर कर रहे हैं जो की बहुत दुख की बात है।
भारत के लोगों को दहेज प्रथा के दुष्प्रभाव पता होने के बाद भी वे लोग इस प्रथा को मानते हैं। हमें समाज को इस प्रथा के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
Dahej Pratha Par Nibandh In Hindi 150 Word Mein
सरकार के इतने प्रयासों के बाद भी लोगो दहेज देने या लेने से पीछे नहीं हट रहे हैं। सरकार द्वारा इसे गैरकानूनी घोषित किया जा चुका है।
फिर भी लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा। वे दहेज प्रथा का अनुसरण करना नहीं छोड़ पा रहे हैं।
अब हर शिक्षित युवा को,
आवाज उठानी चाहिए,
दहेज के दानव को पैरों तले,
कुचल देना चाहिए।
दहेज प्रथा ने समाज में अपनी पकड़ को मजबूत कर लिया है। इसलिए इस प्रथा का अंत करने के लिए हमें कई तरह से प्रयास करने पड़ेंगे।
हमें सभी को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। प्रत्येक महिला को शिक्षित तथा स्वावलंबी बनाना होगा।
महिलाओं को अपने विवाह के बाद भी काम करना जारी रखना चाहिए और ससुराल वालों के व्यंगात्मक टिप्पणियों के प्रति झुकने के बजाय अपने कार्य पर अपनी उर्जा केंद्रित करनी चाहिए।
दहेज प्रथा को हम तभी समाप्त कर पाएंगे जब हमारे देश के प्रत्येक बालक एवं बालिका जागरूक होंगे।
दहेज के खातिर,
लड़की को मत जलाओ,
अगर सच में मर्द हो तो,
उसे कमा कर खिलाओ।
Dahej Pratha Par Nibandh Hindi Mein 200 Shabdo Mein
दहेज प्रथा एक प्रकार की सामाजिक महामारी है जो बहुत तेजी से समाज में फैलती जा रही है। यह प्रथा इस बात को पूर्णत: प्रमाणित करती है कि समाज में पुरुषों का स्थान ही सर्वोच्च और सर्वश्रेष्ठ है। और उसके आगे नारी का कोई अस्तित्व नहीं कोई महत्व नहीं।
कितना भी दे दीजिए,
तृप्त न हो यह शख्स,
तो फिर यह दामाद है,
अथवा लेटर बॉक्स।
दहेज प्रथा इसी प्रकार की नीच तथा गिरी हुई, घटिया सोच को जन्म देती है। दहेज प्रथा के कारण ही आज हमारा देश इतना पिछड़ा हुआ है।
जिस देश में ऐसी कुप्रथा हो, जहां के नागरिक ऐसी सोच रखते हो, वहां का तेजी से विकास होना असंभव सी बात है।
बहु गाय सी सीधी चाहिए,
और दहेज की उम्मीद भी रखते हैं,
संस्कार चाहिए सीता जैसे,
और कैकेई सा व्यवहार करते हैं।
दहेज लेने की घटिया सोच हमारे देश की सभी उन्नति और आधुनिक तकनीकी की गाल पर एक करारा तमाचा है।
हमारी समाज में लगभग हर श्रेणी में इस प्रथा को स्वीकृति प्राप्त है। यही कारण है कि हमारे समाज में लड़कियों की स्थिति इतनी ज्यादा खराब है।
हमारे देश का प्रत्येक व्यक्ति दहेज लेने-देने की परंपरा को पूरी तरह से अपना चुका है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी दहेज का इंतजाम कर ही लेता है।
बेटी के लिए दामाद देखे,
लालच भरा दानव नहीं,
दहेज प्रथा को जड़ से मिटाना है,
अब हर कदम आगे ही बढ़ाना है।
दहेज प्रथा को निभाने वालों से ज्यादा दोषी वह लोग हैं जो इस प्रथा को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
महात्मा गांधी जी ने कहा था कि “जो भी व्यक्ति दहेज को शादी की जरूरी शर्त बना देता है, वह अपनी शिक्षा तथा अपने देश को बदनाम करता है और साथ ही पूरी महिला जाति का भी अपमान करता है।”
दहेज प्रथा पर निबंध 250 शब्दों में
दहेज प्रणाली के खिलाफ कानून
दुल्हन के परिवार द्वारा दूल्हे, उसके माता-पिता तथा रिश्तेदारों को नकद आभूषण और पैसा इत्यादि देना ही दहेज है।
कुछ लोग दहेज अपनी खुशी से देते है तो कोई मजबूरी में। इस प्रथा के कारण कई सारी लड़कियों की शादिया भी नहीं हो पाती और ज्यादातर महिलाओं को दहेज के लालच में मार भी दिया जाता है।
पैसा कमाना नहीं जानते,
तो अपना हाथ फैला दिया,
कुछ ऐसे लोगों ने,
दूल्हे को बिकाऊ बना लिया।
इस प्रणाली में कई तरह के अपराधों, जैसे- कन्या भ्रूण हत्या, लड़की को लावारिस छोड़ना, लड़की के परिवार में वित्तीय समस्याएं और लड़कियों को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने की समस्या को जन्म दिया है। इन्हीं सब कारणों से दहेज प्रथा के खिलाफ सरकार द्वारा कुछ कड़े कानून बनाए गए।
घरेलू हिंसा अधिनियम (2005)
लगभग 50% से भी ज्यादा महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा का मामला सामने आया है। ससुराल के लोग वधु से दहेज तो लेते ही हैं, उसे शारीरिक तथा मानसिक रूप से भी कष्ट देते हैं।
वधु से दुर्व्यवहार करते हैं और उनसे और ज्यादा दहेज की मांग करते हैं। इसी तरह के व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाने तथा महिलाओं को सख्त बनाने के लिए इस कानून को लागू किया गया।
यह महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाता है। शारीरिक, भावनात्मक, मौखिक, आर्थिक तथा अन्य सभी प्रकार के दुर्व्यवहार इस कानून के तहत दंडनीय अपराध है।
दहेज क्या है?,
यह उस बाप से पूछो,
जिसकी जमीन भी गई,
और बेटी भी।
दहेज निषेध अधिनियम (1961)
इस अधिनियम के अनुसार दहेज लेने और देने पर निगरानी करने के लिए कानूनी व्यवस्था लागू की गई है। इसके अनुसार दहेज लेने या फिर दहेज देने की स्थिति में जुर्माना लगाया जा सकता है।
सजा में कम से कम 5 वर्ष की जेल तथा ₹15000 तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है। देश की प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष मांग पर भी दंड का प्रावधान है। कम से कम 6 माह की सजा तथा ₹10000 का जुर्माना हो सकता है।
Dahej Pratha Par Nibandh 300 Word Mein
दहेज प्रथा: उत्पन्न समस्याएं
दहेज समाज के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। दुल्हन के परिवार द्वारा, दूल्हे के परिवार को नगद संपत्ति अथवा वस्तुओं के रूप में उपहार देने की प्रक्रिया दहेज प्रथा कहलाती है।
यह प्रथा महिलाओं के लिए है। इसके कारण समाज में अनेक बुराइयों का तथा अपराधों का विकास हुआ है।
चीखे उठती उठकर घुटती,
उनका क्रंदन होता मौन,
मूक बना है मानव,
नारी का अस्तित्व बचाये कौन।
दहेज के कारण निम्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो रही है-
कन्या भ्रूण हत्या
ज्यादातर परिवारों में लड़की को बोझ के रूप में देखा जाता है। यह प्रणाली कन्या भ्रूण हत्या की जन्मदात्री है।
भारत में ज्यादातर यही मामले सामने आए हैं कि नवजात कन्या को या तो लावारिस छोड़ दिया जाता है, या फिर जन्म लेते ही अथवा भ्रूण में ही उनकी हत्या करवा दी जाती है।
शारीरिक शोषण
ससुराल वालों के द्वारा बहू पर शारीरिक शोषण के लाखों मामले सामने आए हैं। दहेज के लालच में अक्सर ससुराल वाले बहू तथा उसके परिवार से दहेज की मांग करते हैं और मांग पूरी न होने पर बहू को शारीरिक पीड़ा पहुंचते हैं।
लड़कियों पर अत्याचार
यह बात सर्वे से ज्ञात की गई है कि ज्यादातर लड़कियों को शादी के बाद उनके ससुराल वालों के द्वारा अत्याचार सहना पड़ता है।
लड़की यदि दहेज के खिलाफ बोलती है तो उसे शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया जाता है।
लड़की को मारा-पीटा भी जाता है ताकि वह अपने परिवार से दहेज की बात कर सके। दहेज प्रथा के कारण अन्य समस्या भी उत्पन्न हुई है। जैसे लड़का-लड़की में अंतर आदि।
दहेज प्रथा को रोकने के तरीके
दहेज प्रथा को रोकने के लिए हम सबको मिलकर एक सख्त कदम उठाना होगा।
यदि हमें इस प्रथा को समाप्त करना है तो हर लड़की का दायित्व है कि वह कभी भी ऐसे घर में शादी के लिए स्वीकृति ना दें जहां दहेज की मांग की जाती है।
यदि आप एक लड़का है तो आप दहेज को अपनी शादी अथवा वैवाहिक जिंदगी का हिस्सा न बनने दें।
दहेज के दानव को,
जड़ से मिटाएं कैसे,
पढ़े-लिखे ही दहेज लेते हैं,
उन्हें समझाएं कैसे।
दहेज प्रथा को रोकने के लिए हमारी कानून व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है। लोगों को लड़का और लड़की में होने वाले भेदभाव को खत्म करना होगा। महिलाओं को सख्त करना होगा तथा सामाजिक तौर पर लोगों को जागरूक करना होगा।

दहेज प्रथा पर निबंध 400 शब्दों में
प्रस्तावना
दहेज प्रथा एक सामाजिक अभिशाप है। हमारे समाज में सैकड़ों वर्षो से दहेज देने तथा लेने की रीति चली आ रही है।
हमारे कानून के अनुसार दहेज लेना, देना या उनकी मांग करना भी गैरकानूनी माना जाता है। फिर भी दहेज प्रथा का अंत आज तक नहीं हो पाया। दहेज प्रथा आज भी समाज में खुले तौर पर राज कर रही है।
कब तक वो यूं अबला बनकर चीखेगी-चिल्लाएगी,
कब तक लड़कियां दहेज की बलि चढ़ाई जाएगी।
दहेज प्रथा के बढ़ने के कारण
समाज की गलत धारणा के कारण ही गैरकानूनी होते हुए भी दहेज प्रथा का चलन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
दहेज प्रथा के कारण है-
लड़की में कमी
जब भी कभी लड़की में किसी प्रकार की कमी होती है जैसे सुंदरता की कमी, रंग काला होना, छोटा कद, दुबलापन या अन्य कोई भी भौतिक दिक्कत है तो ऐसी कमियों के कारण जब उनका रिश्ता तय होने में परेशानी होती है।
तो लड़की के मां-बाप उनकी शादी जल्दी करवाने के लिए वर पक्ष को दहेज का लालच देते हैं। यह दहेज प्रथा के बढ़ने का बहुत ही अहम कारण है।
एहतियात बरत के करना बिटिया का विवाह,
ये लुटेरों का मुल्क है,
यहां बेटे की कीमत करोड़ों में,
और बहू की जान निशुल्क है।
समाज में झूठी शान के कारण
यह दहेज प्रथा के फैलने का बहुत बड़ा कारण है। लोगों में आजकल अलग ही प्रकार की प्रतियोगिता चलती रहती है।
कुछ लोग अपनी शान को बढ़ाने के लिए लड़के वालों को उनकी मांग से भी ज्यादा समान तथा नगद देते हैं।
जिससे वर पक्ष की इच्छाएं आसमान छूने लगती है और फिर वे ज्यादा इच्छाओं की पूर्ति हेतु लड़की पर दबाव बनाना शुरू कर देते हैं।
इस झूठी शान के कारण भी दहेज प्रथा को बढ़ावा मिल रहा है। दहेज प्रथा जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है इसके परिणाम और भी ज्यादा खतरनाक हो गए हैं।
दहेज प्रथा के कारण लड़कियों के साथ अन्याय हो रहा है, उन पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है तथा सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह है कि लोग लड़का-लड़की में अंतर करने लगते हैं। और लड़कियों से उनसे अधिकार भी छीने जा रहे हैं।
खुलेआम लेना दहेज,
ये चलन हुआ व्यपारों सा,
अब विवाह का पावन मंडप,
लगता है बाजारों सा।
दहेज प्रथा पर भाषण
- आदरणीय अतिथिगण समस्त सम्माननीय सदस्यों तथा मेरे प्यारे मित्रों।
- जैसा की आप सभी को पता है कि दहेज प्रथा भारत का प्रमुख हिस्सा रही है।
- सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कई जगहों पर तो यह भारतीय संस्कृति में अंतर्निहित होने के लिए भी जानी जाती है।
- इस अनुचित परंपरा को वधू के माता-पिता ने शुरू किया।
- दुल्हन के माता-पिता शादी के दौरान अपनी बेटियों को नगद रुपए तथा महंगे आभूषण देते थे ताकि वह अपनी बेटियों की कुछ मदद कर पाए।
- शुरुआत में दुल्हन को उपहार दिए जाते थे, जिसके उद्देश्य समय गुजरने के साथ-साथ बदलते चले गए।
- अब दूल्हे को, उसके माता पिता तथा उनके रिश्तेदारों को उपहार दिए जाते हैं।
- दुल्हन को दिए गए गहने नगदी और बाकी सामान भी ससुराल वालों के पास ही रहता है।
- हमें अब जरूरत है कि इस कुप्रथा का अंत किया जाए।
- इस प्रथा की समाप्ति हेतु हमें महिलाओं की शिक्षा तथा सशक्तिकरण पर बल देना होगा साथ ही लैंगिक समानता पर भी हमें जोर देना होगा।
दहेज प्रथा के,
अंधविश्वास को तोड़ना होगा,
दौलत से नहीं,
प्यार से अब दिल जोड़ना होगा।
निष्कर्ष
दहेज देना हर लड़की के परिवार हेतु पीड़ा का कारण है। इस कुरीति से छुटकारा पाने के लिए हमें यहां लिखित समाधानों का गंभीरता से पालन करना चाहिए। तथा सभी को दहेज निषेध कानून के प्रति जागरूक करना चाहिए।
दहेज प्रथा पर निबंध 500 शब्दों में
प्रस्तावना
केवल भारत में ही नहीं बल्कि यूरोप और अफ्रीका समेत दुनिया के अन्य देशों में भी दहेज प्रथा का लंबा इतिहास रहा है। भारत में इसे दहेज या वर दक्षिणा के नाम से जाना जाता है।
दहेज का प्रभाव
दहेज वह है जो वधू का परिवार नगद अथवा वस्तुओं के रूप में वर के परिवार को दिया जाता है। पहले के समय में लोग दहेज अपनी खुशी से दिया करते थे, परंतु आज हर व्यक्ति दहेज की मांग करता है।
जिसके कारण समाज पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। दहेज प्रथा के कारण लैंगिक भेदभाव की समस्या बढ़ती जा रही है। लोग महिलाओं को एक दायित्व के रूप में समझते हैं, और उनकी शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी तीव्रता से कमी आयी है।
दहेज लेकर अपने आपको बड़ा बताते हो,
तुम्हें नहीं पता कि तुम अपना ही घर जलाते हो।
गरीब वर्ग के लोग, बेटियों की शादी में दहेज के लिए पैसा इकट्ठा करने के लिए अपनी बेटियों को काम पर भेजते हैं, ताकि शादी में कोई दिक्कत ना हो।
देश में ऐसी हजारों लड़कियां हैं जो अविवाहित रह जाती है क्योंकि उनके माता-पिता विवाह पूर्व दहेज की मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाते।
इसी प्रथा के कारण महिलाओं पर अपराध बढ़ रहे हैं। दहेज की मांग न पूरी कर पाने के कारण विवाह के बाद महिलाओं को शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से भी प्रताड़ित किया जाता है तथा चोट से लेकर मौत तक की घटनाएं सामने आये दिन आती है।
समाज के ही तरीकों ने,
बनाया है बेटी को पराया,
दहेज हो या कन्या भ्रूण हत्या,
अपनों ने ही कहर है बरसाया।
देश में लगभग हर घंटे में एक महिला दहेज संबंधित कारणों से मौत के घाट उतार दी जाती है। साल 2007 से 2017 के बीच इन अपराधों में नियंत्रण वृद्धि होती जा रही है। अगर आंकड़ों की बात की जाए तो साल 2012 में दहेज हत्या के लगभग 8,233 मामले सामने आए हैं।
दहेज प्रथा के खिलाफ कानून
दहेज के लिए वधू को प्रताड़ित करने पर भारतीय दंड संहिता धारा 498/A के अनुसार यदि पति अथवा उसके रिश्तेदार किसी प्रकार की संपत्ति अथवा कीमती वस्तु की मांग करते हैं तो उन्हें 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है।
दहेज निषेध अधिनियम 1961 के अनुसार दहेज देने या इसके लेने में सहयोग करने पर 5 साल की कैद और ₹15000 के जुर्माने का प्रावधान है।
धारा 406 के अनुसार यदि वधू के पति या ससुराल वाले वधु के स्त्रीधन को उसे सौंपने से मना करते हैं तो उन्हें 3 साल की कैद या जुर्माना देना पड़ेगा।
दहेज क्या है ये उस बाप से पूछो….
जिसकी जमीन भी गयी और बेटी भी…..
दहेज प्रथा पर भाषण
- आदरणीय अतिथिगण एवं मेरे प्यारे मित्रों आज मैं आप सभी के समक्ष एक ऐसे विषय पर अपने विचार बताऊंगी जो केवल हमारे देश के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए समस्या है।
- मैं बात कर रही हूं एक बड़ी ही गलत प्रथा के बारे में, जिसे हम दहेज प्रथा के नाम से भी जानते हैं।
- आज के आधुनिक समय में भी दहेज प्रथा एक बड़ी बुराई की तरह पूरे विश्व में फैली है।
- दहेज प्रथा एक प्रकार की सामाजिक बुराई है जिसके कारण समाज में महिलाओं के प्रति अपराध उत्पन्न हुए हैं तथा भारतीय वैवाहिक व्यवस्था प्रदूषित हुई है।
- शादी के समय लड़की का परिवार लड़के के परिवार को जो भी नगद अथवा वस्तु के रूप में दिया जाता है दहेज कहलाता है।
- दहेज के कारण समाज को इतनी ज्यादा दिक्कतें झेलनी पड़ रही थी की सरकार को इसके खिलाफ कदम उठाना पड़ा।
- सरकार ने इस प्रथा को मिटाने तथा समाज में लड़कियों के उत्थान के लिए कानून बनाए, सरकार ने कई सारे जुर्माने भी लगाए तथा सजा का भी प्रावधान बनाया ताकि कोई भी यदि दहेज की मांग करता है तो उसे उचित दंड दिया जा सके।
दहेज तो समाज पर वह अभिशाप है,
जहां बाप पूछता है क्या बेटी होना पाप है।
निष्कर्ष
सरकार के कानून के कारण कुछ फायदा तो हुआ, मगर यदि इस समस्या का जड़ से निपटारा करना है तो हमें लोगों की नैतिक तथा सामाजिक चेतना को भी जगाना होगा। महिलाओं की शिक्षा एवं उनकी स्वतंत्रता पर बल देना होगा ताकि कोई भी लड़की दहेज प्रथा की बलि ना चढ़े।
मेरे प्यारे दोस्तों! मुझे पूरी उम्मीद हैं की मेरे द्वारा लिखा गया Dahej Pratha Par Nibandh आपको जरूर पसंद आया होगा।
आप दहेज प्रथा पर निबंध को अपने करीबी दोस्तों या रिश्तेदारों को जरूर शेयर कीजियेगा, जिनको इस निबंध की अति आवश्यकता हो।