
हम आपके लिए लेकर आए हैं, ‘Essay On Dussehra In Hindi‘ दशहरे पर छोटे और बड़े अलग-अलग शब्द सीमाओं पर निबंध!
Short essay on Dussehra in hindi for class 5 | Dussehra par 10 line

- दशहरे को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है।
- यह हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है।
- यह त्योहार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष के दसवें दिन मनाया जाता है।
- यह 10 दिन लंबा उत्सव है। 9 दिन दुर्गा पूजा के लिए और दसवां दिन रावण दहन के लिए।
- इस दिन मां दुर्गा के विसर्जन का कार्यक्रम होता है।
- भारत में हिमाचल प्रदेश के कच्छू घाटी में दशहरे का त्यौहार प्रचलित है।
- इस दिन श्री राम ने रावण का वध करके इस संसार को राक्षस मुक्त किया था।
- दशहरा श्री राम और मां दुर्गा के महत्व को दर्शाता है।
- भारत के अलावा यह पर्व नेपाल और बांग्लादेश में भी मनाया जाता है।
- यह त्यौहार दर्शाता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो जाए, अच्छाई के एक वार से उसका सर्वनाश हो जाता है।
“होगी सत्य की जीत और असत्य की हार।
यही संदेश देता है, दशहरे का त्यौहार।”
15 lines on dussehra in hindi

- विजयदशमी को आयुध पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
- यह त्यौहार भारतीय संस्कृति की वीरता और शौर्य का प्रतीक है।
- कहा जाता है कि श्री राम ने रावण के साथ-साथ उसके 10 पापों का भी संघार किया।
- लोभ, क्रोध, मोह, त्याग, मत्सर, अहंकार, लालच, काम, हिंसा और चोरी रावण के अंदर के पाप थे, जो उसके सिरों में थे। जिनका राम ने अंत किया।
- वर्ष में तीन शुभ तिथियां है- चैत्र शुल्क, कार्तिक शुल्क और अश्विन शुल्क।
- दशहरा अश्विन शुल्क में मनाया जाने वाला पर्व है।
- पूरे उत्साह के साथ हिंदू धर्म में यह त्यौहार लगातार 10 दिन तक मनाया जाता है।
- इस दिन रामचंद्र ने अहंकारी राजा रावण का अंत किया था।
- इस दिन भारत वर्ष में विभिन्न जगहों पर मेले लगते हैं।
- रावण के बड़े-बड़े पुतले बनाकर उन्हें प्रतिवर्ष जलाया जाता है।
- इस दिन कई स्थानों पर रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले भी जलाए जाते हैं।
- दशहरा दीपावली की शुरुआत का प्रतीक है।
- इस दिन सभी लोग परिवार सहित मेला देखने के लिए जाते हैं।
- लोगों के अंदर रावण का नाश हो और उनके में श्रीराम का वास हो, यही इस पर्व के पीछे का उद्देश्य है।
- यह पर्व लोगों के मन में इस विश्वास का संचार करता है, कि सच्चाई और अच्छाई सदैव जीतती है और हमेशा बुराई का अंत होता है।
“राक्षसों पर देवों की जीत,
सीता की राम से असीमित प्रीत,
यह तो एक कारण भर ही था,
क्योंकि यही है दुनिया की रीत,
होती है सत्य की सदैव जीत।”
Dussehra par nibandh hindi mein 200 Shabdon me

दशहरा हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। इसका महत्व पारंपरिक व आध्यात्मिक दोनों रूपों से है। यह पर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। सत्य की असत्य पर विजय का प्रतीक है।
“अधर्म पर धर्म की जीत,
पाप पर पुण्य की जीत,
रावण पर राम की जीत,
यही है जीवन का प्रतीक।”
रामलीला का आयोजन:
कई जगहों पर यह पर्व पूरे 10 दिन के लिए मनाया जाता है। मंदिर के पुजारियों द्वारा मंत्र और रामायण की कहानियां भक्तों की भीड़ के सामने सुनाई जाती है, साथ ही कई जगहों पर रामलीला का आयोजन 7 दिन तक किया जाता है।
सारे शहर में रामलीला का आयोजन बड़े उत्साह के साथ होता है। रामलीला पौराणिक महाकाव्य रामायण का एक बहुत ही अच्छा लोकप्रिय अध्याय हैं।
निष्कर्ष:
रामलीला का उत्सव पौराणिक कथाओं को इंगित करता है। यह सीता माता के स्वयंवर से लेकर उनके अपहरण तक के पूरे इतिहास को बताता है। असुर राजा रावण उसके पुत्र मेघनाथ और भाई कुंभकरण की हार और श्री रामचंद्र की लंका पर विजय को यह उत्सव दर्शाता है।
कुछ लोग राम, लक्ष्मण और सीता तथा हनुमान का किरदार निभाते हैं, लेकिन रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला बनाया जाता है। अंत में श्री रामचंद्र जी रावण को जलाकर उसका अंत कर देते हैं और अन्याय पर न्याय की जीत होती है।
Essay on dussehra in hindi 250 Words

‘दशहरा‘ शब्द की उत्पत्ति के विषय में कई कल्पनाएं की गई है। कुछ लोगों का मत है, कि यह कृषि का उत्सव है। दशहरे का सांस्कृतिक पहलू भी है। भारत कृषि प्रधान देश है।
जब किसान अपने खेत में सुनहरी फसल लगाकर, उसे उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है, तो उसके उल्लास और उमंग का कोई ठिकाना नहीं रहता। इस प्रसन्नता के अवसर को वह भगवान की कृपा मानता है और उनका पूजन करता है।
“होगी सत्य की जीत और असत्य की हार,
यही संदेश देता है यह दशहरे का त्यौहार।”
इस उत्सव का संबंध नवरात्रि से भी है, क्योंकि नवरात्रि के उपरांत ही उत्साह होता है और इसमें महिषासुर के विरोध में देवी का साहस पूर्ण कार्य उल्लेखित है। दशहरा नवरात्रि के बाद दसवें दिन मनाया जाता है।
इस दिन राम ने रावण का वध किया था। दशहरा को मनाने के लिए जगह-जगह बड़े मेले का आयोजन किया जाता है, जहां लोग अपने परिवार दोस्तों के साथ आते हैं।
रामलीला और रावण वध:
रामलीला का आयोजन 7 दिनों तक होता है। दशहरे के दिन रावण के विशाल पुतले को जलाया जाता है। यह शक्ति पूजा, शस्त्र पूजा व हर्ष उल्लास का त्यौहार है।
शक्ति के प्रतीक का उत्सव:
शक्ति की उपासना का पर्व, शारदेय नवरात्री प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जाता है।
इस मौके पर लोग नवरात्रि के 9 दिन जगदंबा के अलग-अलग रूपों की उपासना करके शक्तिशाली बने रहने की कामना करते हैं। भारतीय संस्कृति सदा से ही वीरता की समर्थक रही है। दशहरे का उत्सव शक्ति के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला उत्सव है।
बुराई पर अच्छाई की विजय:
इस दिन क्षत्रियों के यहां शस्त्र की पूजा होती है। इस दिन रावण, उसके भाई कुंभकरण और पुत्र मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं। कलाकार राम, सीता व लक्ष्मण का रूप धारण करते हैं और आग के तीर से पुतले को मारते हैं। रावण का पुतला पटाखों से भरा होता है और तीन लगने पर वह जलने लगता है।
“रामचंद्र ने रावण मारा,
तोड़ दिया अभिमान भी सारा।
एक बुराई रोज मिटाओ,
और दशहरा रोज मनाओ।”
Dashara par nibandh 300 Words

प्रस्तावना:
दशहरा हिंदू धर्म के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे पूरे हिंदुस्तान के सभी हिंदू बड़े उत्साह से मनाते हैं। यह लगातार 10 दिनों तक होता है, इसलिए इसे दशहरा कहते हैं। पहले 9 दिन तक देवी दुर्गा की पूजा होती है, फिर दसवें दिन रावण का पुतला जलाकर दशहरा मनाया जाता है।
रावण पर विजय के लिए राम बनो:
रावण का वध करने के लिए पहले हमें स्वयं श्री रामचंद्र जैसा मर्यादा पुरुषोत्तम बनना होगा।
“त्याग दी सब ख्वाहिशें,
कुछ अलग करने के लिए।
राम ने खोया बहुत कुछ,
श्रीराम बनने के लिए।”
हम बाहर रावण का पुतला तो जलाते हैं, मगर अपने अंदर उसे पोषित करते हैं। वह तो सतयुग में केवल एक रावण था, जिसका अंत राम ने किया था। किंतु आज कलयुग में हर एक घर में एक रावण रहता है। इतने सारे रावण पर विजय पाना मुश्किल है।
विजयदशमी बहुत ही शुभ और ऐतिहासिक पर्व है। इस दिन लोगों को अपने अंदर के रावण पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। हमें हर्षो उल्लास के साथ इस पर्व को मनाना चाहिए।
जिस प्रकार अंधकार का नाश करने के लिए एक दीपक ही काफी होता है, उसी प्रकार अपने अंदर के रावण का नाश करने के लिए एक अच्छी सोच ही काफी है।
“बुराई का सदा होता विनाश,
दशहरा लाता उम्मीद की आस।
जैसे रावण का हुआ विनाश,
कभी ना छूटे अच्छाई की आस।”
ना जाने कितने सालों, सदियों से पूरे देश में रावण का पुतला हर साल जलाकर दशहरे का त्यौहार हर साल मनाया जाता है। अगर रावण की मृत्यु सदियों पहले हो गई थी, तो फिर वह आज भी हमारे बीच जीवित कैसे हैं?
आज तो कई रावण है। उस रावण के 10 सिर थे, लेकिन हर सिर का एक चेहरा था। जबकि आज के रावण का तो सिर्फ एक है, मगर चेहरे अनेक हैं। जो नकाबों के पीछे छिपे हैं।
इसलिए इन्हें खत्म करने के लिए साल में 1 दिन काफी नहीं। इन्हें रोज मारना, हमें अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। उस रावण को श्री रामचंद्र ने धनुष बाण से मारा था, परंतु आज हम सबको मिलकर अपने अंदर के रावण को अपनी इच्छा शक्ति, ज्ञान और संस्कारों से मारना होगा।
Dussehra par essay 400 Words

प्रस्तावना:
‘दशहरा’ यह 10 दिन लंबा उत्सव है। यह हर साल सितंबर या अक्टूबर के महीने के आस-पास दीपावली के पर्व के 20 दिन पहले मनाया जाता है।यह लंका के असुर रावण पर भगवान राम की जीत को दिखाता है। श्रीराम सच्चाई के प्रतीक हैं और रावण बुराई का प्रतीक है। यह पर्व बच्चों के लिए ढेर सारी खुशियां लाता है।
दशहरे के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:
कहा जाता है कि दशहरे का महत्व इस रूप से भी होता है, कि मां दुर्गा ने दसवें दिन महिषासुर राक्षस का वध किया था। महिषासुर असुरों का राजा था जो लोगों पर अत्याचार करता था। उसके अत्याचारों को देखकर त्रिदेव ने शक्ति अर्थात मा दुर्गा का निर्माण किया।
महिषासुर और मां दुर्गा के बीच 10 दिनों तक युद्ध हुआ और दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर दिया। कहा जाता है कि नवरात्र में मां अपने मायके आती हैं और उनकी विदाई हेतु लोग नवरात्र के दसवें दिन उन्हें पानी में विसर्जित कर देते हैं।
यह मान्यता भी है कि श्री राम ने रावण के सिरों को ही नहीं बल्कि उसके प्रत्येक सिर से जुड़े उस 10 बुराइयों को खत्म किया था। यह बुराइयां हैं- पाप, काम, लालच, क्रोध, मोह, लोभ, घमंड, स्वार्थ, जलन, अहंकार, अन्याय, और मानवता।
दशहरा भगवान राम और माता दुर्गा दोनों का महत्व दर्शाता है। रावण को हराने के लिए श्री राम ने माता दुर्गा से प्रार्थना की और बदले में माता ने श्री रामचंद्र को रावण की मृत्यु का रहस्य बताया।
“रावण का सर्वनाश हो,
श्री राम का हृदय में वास हो।”
निष्कर्ष:
विजयदशमी पर्व में 9 दिन देवी की पूजा के लिए और दसवां दिन दशहरे के लिए है। इस पर्व के आने से पहले ही लोग इसकी तैयारी में लग जाते हैं। लोग मेला का आयोजन करते हैं और एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाकर दुकानें व स्टॉल लगाते हैं।
यह एक ऐसा पर्व है, जिसमें लोगों के मन में नई ऊर्जा, नई उमंग का संचार होता है। लोगों के मन में बुराई पर अच्छाई की जीत का विश्वास होता है। यह पर्व लोगों के मन में सात्विक ऊर्जा का संचार करता है।
“जहां सत्य है वहां श्रीराम है,
जहां श्रीराम है वहां सुख अपार है।”
भगवान राम ने जैसे बुराई का अंत किया, वैसे ही मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत किया। श्री राम तथा मां दुर्गा दोनों ने संसार को बुराई से मुक्त करा कर सभी को अच्छाई का पाठ पढ़ाया। वैसे ही हमें भी अपने अंदर की बुराइयों का अंत करना चाहिए और मन में सदैव अच्छे विचारों का संचार करना चाहिए तथा सभी को सत्य का साथ देने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
Essay on dussehra in hindi 500 Words

प्रस्तावना:
यह भारत का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पूरे देश में प्यार, विश्वास और सम्मान के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव के कारण कुछ दिनों तक स्कूल और कॉलेजों में भी अवकाश रहता है। लोगों को इस त्यौहार का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है।
दशहरा से जुड़ी रीति रिवाज व परंपरा:
भारत देश अपनी संस्कृति, परंपरा, मेले और उत्सव के लिए जाना जाता है। जहां हर पर्व पूरी खुशी, जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदू पर्व को महत्व देने के साथ ही इस त्यौहार को पूरी खुशी के साथ मनाने के लिए भारत सरकार द्वारा दशहरा के इस उत्सव पर सरकारी अवकाश जारी किया जाता है। दशहरा मनाने के पीछे का उद्देश्य है, बुराई के राजा रावण पर अच्छाई के राजा रामचंद्र की विजय होना।
“सात्विक मर्यादा के लिए,
कुदरत ने कहर बरसाया था।
जब रावण की मौत आई,
समंदर में पत्थर तैराया था।”
दशहरा का वास्तविक अर्थ है, 10 सिर वाले असुर रावण का राम के द्वारा वध। पूरे देश में सभी लोगों द्वारा रावण को जलाने के साथ ही इस उत्सव का दसवां दिन मनाया जाता है। इस उत्सव की शुरुआत उस दिन से हुई जब श्रीराम ने रावण का वध किया।
रावण ने श्री राम की पत्नी माता सीता का अपहरण कर लिया था और उन्हें मुक्त नहीं कर रहा था। इसलिए श्री राम ने हनुमान, सुग्रीव व उनकी वानर सेना और लक्ष्मण के साथ मिलकर रावण को परास्त किया।
“राम राम कहुँ बारंबारा,
चक्र सुदर्शन है रखवाला।”
दशहरे का महत्व:
यह पर्व सभी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग अपने अंदर की बुराइयों को खत्म करते हैं और नए जीवन की शुरुआत करते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी में मनाया जाने वाला त्यौहार है।
यह त्योहार सभी जश्न के रूप में मनाते हैं। किसानों के लिए यह फसल को घर लाने का जश्न है, बच्चों के लिए यह राम द्वारा रावण को मारने का जश्न है और बड़ों द्वारा अन्याय पर न्याय का जश्न और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न है।
यह पर्व बहुत ही शुभ तथा पवित्र माना जाता है। लोगों का मानना है, कि यदि इस दिन कोई काम को शुरू किया जाए तो वह अवश्य ही सफल होता है।
“हमें करना है इस वर्ष,
कुछ नया कार्य।
छोड़ो बुराई का रास्ता,
अपनाओ सद्विचार।”
विजयदशमी से जुड़ी कथाएं:
दशहरा से कई सारी कथाएं जुड़ी है। कोई इस पर्व को राम की रावण पर विजय का प्रतीक बताता है, तो कोई पांडव का वनवास, कोई देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर राक्षस का वध इसका कारण मानता है, तो कोई देवी सती का अग्नि में समाना। ऐसी ही अनेक कथाएं दशहरा से जुड़ी हैं।
“आज के दिन हुआ था,
राम-रावण युद्ध का अंत।
जीत हुई सच्चाई की,
लोगों को मिली खुशियां अनंत।”
दशहरे का मेला:
भारत में सभी जगह दशहरे का मेला लगता है। इस मेले में कई दुकानें लगती है और खाने पीने की वस्तुओं का आयोजन होता है। इस दिन सभी लोग मेला देखने जाते हैं और रावण वध देखते हैं।
“शन्ति अमन के देश से अब,
बुराई को मिटाना होगा।
रावण का दहन करने को,
फिर श्री राम को आना होगा।”
इस दिन सड़कों पर बहुत भीड़ होती है। लोग गांव से शहरों में दशहरे का मेला देखने के लिए जाते हैं। रावण वध के बाद लोग पांडाल घूमकर देवी मां के दर्शन का आनंद उठाते हैं और मेले से अच्छे-अच्छे सामान की खरीदारी करते हैं।
निष्कर्ष:
हिंदू धर्म ग्रंथ रामायण के अनुसार, देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रीराम ने चंडी होम कराया था। इसके अनुसार युद्ध के दसवें दिन श्री राम को मां दुर्गा ने रावण को मारने का रहस्य बता दिया था।
फिर श्री राम ने रावण पर विजय प्राप्त की। अतः रावण को मारने के पश्चात श्री राम ने सीता को वापस पाया था। दशहरा को दुर्गोत्सव भी कहा जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उसी दसवें दिन माता दुर्गा ने भी महिषासुर का वध किया था।
पूरे देश में हर क्षेत्र के रामलीला मैदान में एक बहुत बड़ा मेला आयोजित किया जाता है, जहां दूसरे क्षेत्र के लोग इस मेले के साथ ही रामलीला का मंचन देखने आते हैं।
“जरूरी है हृदय में राम को जिंदा रखना,
क्योंकि पुतले जलाने से कभी रावण नहीं मरते हैं।”