Swatantrata Diwas Par Nibandh: ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने की वजह से भारत में स्वतंत्रता दिवस सभी भारतीयों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस दिन को हम 15 अगस्त 1947 से मनाते आ रहे हैं। गांधी जी, भगत सिंह, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद जैसे हमारे देशभक्तों की कुर्बानी से स्वतंत्र हुआ भारत, आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र देश रूप में गिना जाता है।

Table of Contents
- 15 August In Hindi Short Essay 80 Words
- Swatantrata Diwas Essay In Hindi 100 Words
- Swatantrata Diwas Par Nibandh 150 Shabdo Mein
- Essay On Independence Day In Hindi 200 Words
- Essay On 15 August In Hindi 250 Words
- Essay On Independence Day In Hindi Language 300 Words
- 15 August Par Nibandh 400 Words
- स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 500 शब्दों में
15 August In Hindi Short Essay 80 Words
15 अगस्त 1947 स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने दिल्ली के लाल किले पर भारतीय ध्वजारोहण के बाद भारतीयों को संबोधित किया।
इसी प्रथा को आने वाले दूसरे राज्य ने भी आगे बढ़ाया। जहां ध्वजारोहण, परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि हर साल इसी दिन आयोजित होते हैं। कई लोग इस त्यौहार को अपने कपड़ों तथा घर और वाहनों पर तिरंगा लगाकर मनाते भी हैं।
तीन रंग का नहीं वस्त्र,
यह ध्वज देश की शान है।
हर भारतीय के दिलों का स्वाभिमान है।
यही है गंगा यही हिमालय,
यही हिम की शान है।
और तीन रंगों से रंगा,
हुआ अपना ये हिंदुस्तान है।
भारत एक ऐसा देश है जहां करोड़ों लोग विभिन्न धर्म, परंपरा और संस्कृति के साथ रहते हैं और हर उत्सव को पूरी खुशी के साथ मनाते हैं। स्वतंत्रता दिवस के इस दिन को सभी भारतीय पूरी उत्साह और हर्ष-उल्लास के साथ मनाते हैं।
भारतीय होने के नाते हमें यह संकल्प लेना चाहिए, कि हम किसी भी प्रकार के आक्रमण या अपमान से अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सदा देशभक्ति से पूर्ण और ईमानदार रहेंगे।
Swatantrata Diwas Essay In Hindi 100 Words
प्रस्तावना
भारत के राष्ट्रीय त्योहारों में से एक हैं, हमारा स्वतंत्रता दिवस। यह एक ऐसा दिन जब भारत आजाद हुआ था। कहने को अंग्रेज भारत छोड़कर चले गए थे, लेकिन आजादी और भी कई इच्छाओं में जरूरी और अलग थी।
अब ना तो हम शारीरिक रूप से गुलाम थे और ना ही मानसिक रूप से। अब हमें खुल कर बोलने की, लिखने, पढ़ने तथा हर क्षेत्र में आजादी मिल गई थी।
सीने में जुनून अंगों में,
देशभक्ति की चमक रखता हूं।
दुश्मन की सांसे थम जाए,
आवाज में ऐसी धमक रखता हूं।
सांप्रदायिक दंगे और भारत का बंटवारा
इस प्रकार देश को अंग्रेज छोड़कर तो चले गए हैं और हम आजाद भी हो गए, लेकिन एक और जंग अभी बाकी थी जो कि सांप्रदायिक हमले थे। स्वतंत्रता प्राप्त करते ही सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी।
नेहरू और जिन्ना दोनों को प्रधानमंत्री बनाना था, नतीजन देश का बंटवारा हुआ। भारत और पाकिस्तान नाम से एक हिंदू और एक मुस्लिम राष्ट्र की स्थापना हुई।
गांधीजी की मौजूदगी से इन हमलों मे कमी तो आई फिर भी मरने वालों की तादाद लाखों की थी। एक ओर आजादी का माहौल था, तो वहीं दूसरी तरफ नरसंहार का अनुमोदन करने वाला माहौल था। देश का बंटवारा हुआ और क्रमशः 14 अगस्त को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया और 15 अगस्त को भारत का स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया।
आजादी की कभी शाम ना होने देंगे,
शहीदों की कुर्बानी बदनाम ना होने देंगे।
बची है जब तक एक बूंद भी गर्म लहू की,
तब तक भारत मां का आंचल नीलाम ना होने देंगे।
Swatantrata Diwas Par Nibandh 150 Shabdo Mein
भारत में स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता का विशेष महत्व होता है, इसलिए हर भारतीय के लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों की परतंत्रता के बाद स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिकता हिंसा
भारत को आजादी दिलाने में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान है। लेकिन जब 15 अगस्त 1947 के दिन भारत के स्वतंत्रता का जश्न सबके साथ मनाया गया, तब गांधी जी उसमें शामिल नहीं हुए थे।
महात्मा गांधी उस समय पश्चिम बंगाल के नोआखली में अनशन पर बैठे थे। महात्मा गांधी हिंदू और मुस्लिमों के बीच में हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे।
आओ झुक कर सलाम करें उन्हें,
जिनकी जिंदगी में यह मुकाम आता है।
किस कदर खुशनसीब है वो लोग,
जिनका लहू भारत देश के काम आता हैं।
राष्ट्रगान का निर्माण
भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। इस दिन तक भारत का कोई राष्ट्रगान नहीं था मगर रविंद्र नाथ टैगोर, जो कि राष्ट्रगान के रचयिता है। उन्होंने वर्ष 1911 में जन-गण-मन लिख दिया था, परंतु इसे राष्ट्रगान के रूप में 1950 को घोषित किया गया।
चिंगारी आजादी की सुलगी मेरे जश्न मे है,
इंकलाब की ज्वाला लपटी मेरे बदन में है।
मौत कहां जन्नत हो यह बात मेरे वतन में है,
कुर्बानी का जज्बा जिंदा अभी कफन मे है।
देश की राजधानी के साथ-साथ देश के अन्य सभी राज्यों में भी मुख्यमंत्री सम्मान के साथ तिरंगा फहराते हैं। 15 अगस्त को हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है और उनका सम्मान किया जाता है।
इस दिन देश में देश-भक्ति के गीत गाये जाते है और नारे लगाए जाते हैं। वही कुछ लोग पतंग उड़ा कर आजादी का जश्न मनाते हैं।
Essay On Independence Day In Hindi 200 Words
स्वतंत्रता दिवस का प्रतीक
पतंगबाजी का खेल स्वतंत्रता दिवस का प्रतीक है। आसमान को भारत की स्वतंत्र आत्मा का प्रतीक बनाने के लिए लोगों द्वारा छतों और खेतों से अनेक अनगिनत पतंगे उड़ाई जाती हैं। भारत में तिरंगे सहित विभिन्न शैलियों, आकारों और रंगों की पतंगे उपलब्ध है। दिल्ली में लाल किला एक महत्वपूर्ण प्रतीक है स्वतन्त्रता दिवस का, क्योंकि यहां पर 15 अगस्त 1945 को प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ध्वजारोहण किया था।
दे सलामी इस तिरंगे को,
जिससे तेरी शान है।
सर हमेशा ऊंचा रखना इसका,
जब तक दिल में जान है।
भारत का राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा‘ तीन रंगों से बना है, केसरिया, सफेद और हरा। केसरिया रंग सबसे ऊपर है, मध्य में सफेद रंग है तथा उसमें एक नीले रंग का चक्र भी है, जिसमें 24 तीलियां हैं। सबसे नीचे हरा रंग है।
ध्वज की चौड़ाई और लंबाई का अनुपात 2 अनुपात 3 है। सफेद रंग की पट्टी के बीच एक नीला रंग का पहिया भी है, जो चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। इसका डिजाइन उस पहिये का हैै जो अशोक के सारनाथ के शेर के अबेकस पर दिखाई देता है। इसका व्यास सफेद रंग की पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है।
कुछ नशा तिरंगे की आन का है,
कुछ नशा मातृभूमि के मान का है।
हम लहराएंगे हर जगह इस तिरंगे को,
नशा ये हिंदुस्तान की शान का है।
अपने पहले भाषण में पंडित नेहरू ने क्या कहा था?
- आज दुर्भाग्य के इस युग का अंत कर रहे हैं और पुनः खुद को खोज पा रहे हैं।
- आज हम जिस उपलब्धि पर उत्सव मना रहे हैं, वह महत्व एक कदम है नए अवसरों को खुलने का।
- इससे भी बड़ी मीत और उपलब्धियां हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं।
- भारत की सेवा का अर्थ है, लाखों – करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना।
- इसका अर्थ है, गरीबी, अज्ञानता और अवसर की समानता को मिटाना।
- हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की इच्छा है, कि हर आंख से आंसू मिटे।
- इस आजादी को पाने के लिए अनेक देश भक्तों ने अपना बलिदान दिया है।
- मंगल पांडे, सुभाष चंद्र बोस, रामप्रसाद बिस्मिल, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, रानी लक्ष्मीबाई, महात्मा गांधी जैसे लोगों के बलिदानों को हम कभी नहीं भूल सकते।
- इस आजादी को पाने के लिए हमें कितनी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी है।
- इसलिए हमें इसका पूरा सम्मान करना चाहिए।
- हर साल लाल किले पर तिरंगा फहराया जाता है।
- राजपथ पर देश के जवान परेड करते हैं।
- राष्ट्रगान के साथ 21 तोपों की सलामी दी जाती है।
- हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश की जाती है और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
- हमें अपनी आजादी का सम्मान करना चाहिए।

Essay On 15 August In Hindi 250 Words
15 अगस्त को आजाद होने वाले अन्य देश
भारत को 15 अगस्त 1947 में आजादी मिली थी, इसलिए भारत में यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन 15 अगस्त के दिन केवल भारत को ही नहीं बल्कि अन्य देशों को भी आजादी प्राप्त हुई थी।
दक्षिण कोरिया को 15 अगस्त 1945 में आजादी मिली थी। बहरीन को 15 अगस्त 1971 में आजादी मिली और कांगो को 15 अगस्त 1960 में आजादी मिली थी।
हमारे भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने में अहम योगदान देने वाले महर्षि अरविंद घोष का जन्म 15 अगस्त 1872 को हुआ था।
यह बात हवाओं को बताए रखना,
रोशनी चिरागों को जलाए रखना।
लहू देकर जिसकी हिफाजत हमने,
तिरंगे को सदा दिल में बसाए रखना।
भारत में स्वतंत्र दिवस मनाया जाने का कारण
भारतीय स्वतंत्रता दिवस हमेशा 15 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिन भारत को 200 साल की गुलामी से आजादी मिली थी। इसलिए भारत मे यह दिन स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह भारत का राष्ट्रीय दिवस है, इसे “आई-डे” के रूप में भी जाना जाता है। यह सार्वजनिक अवकाश 1947 की तारीख को चिन्हित करता है, जब भारत एक स्वतंत्र देश बन गया था। यह अवकाश भारत में ड्राई-डे के रूप में मनाया जाता है, जब यहां शराब की बिक्री की अनुमति नहीं होती है।
संस्कार और संस्कृति की शान मिले ऐसे,
हिंदू, मुसलमान और हिंदुस्तान मिले ऐसे।
हम मिल जुल कर रहे ऐसे,
की मंदिर में अल्लाह और मस्जिद में राम मिले ऐसे।
स्वतंत्रता दिवस का महत्व
1757 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने प्लासी के युद्ध में बंगाल के अंतिम नवाब को हराया था। जिसने भारत में ब्रिटिश शासन की शुरुआत को चिन्हित किया। भारतीय विद्रोह या स्वतंत्रता का पहला युद्ध अट्ठारह सौ सत्तावन ने मैं हुआ था, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत का पहला असफल विद्रोह था।
1285 में भारत की पहली राजनीतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन किया गया था और 1918 में प्रथम विश्व युद्ध के समापन के बाद भारतीय कार्यकर्ताओं में स्वशासन या “स्वराज” का आवाहन किया। 1929 मे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लाहौर की एक सभा में भारत के स्वतंत्रता की घोषणा की।
लड़ के वीर जवानों की तरह,
ठंडा खून फौलाद हुआ।
मरते-मरते भी मार गिराए,
तभी तो देश आजाद हुआ।
अंत में ब्रिटिश सरकार और भारतीय राष्ट्र कांग्रेस के बीच सत्र और बैठकों की संख्या के बाद लॉर्ड माउंटबेटन “जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्र भारत के अंतिम वायसराय के रूप में कार्य किया” ने प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त कर दी।
लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत को दो स्वतंत्र राज्यों में विभाजित किया, भारत तथा पाकिस्तान। इसके बाद हर साल 15 अगस्त के दिन भारत का राष्ट्रीय ध्वज कई सार्वजनिक स्थानों पर फहराया जाता है।
प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को मनाने के लिए दिल्ली के लाल किले में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। ध्वजारोहण समारोह के साथ ही परेड और नृत्य की प्रस्तुतियां भी होती है।
मैं भारत सम्मान करता हूं,
यहां की मिट्टी का गुणगान करता हूं।
मुझे चिंता नहीं स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की,
तिरंगा हो कफन मेरा बस यही अरमान रखता हूं।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई सभी स्कूलों का शिक्षण संस्थान के लिए एक विशेष समारोह की मेजबानी करते हैं इस अवसर को मनाने के लिए बच्चे तिरंगे वाली पतंग उड़ाते हैं।
Essay On Independence Day In Hindi Language 300 Words
प्रस्तावना
ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने की वजह से भारत में स्वतंत्रता दिवस सभी भारतीयों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस दिन को हम 15 अगस्त 1947 से मनाते आ रहे हैं। गांधी जी, भगत सिंह, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद जैसे हमारे देशभक्तों की कुर्बानी से स्वतंत्र हुआ भारत, आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र देश रूप में गिना जाता है।
विकसित होता राष्ट्र हमारा,
रंग लाती है हर कुर्बानी है।
फक्र से अपना परिचय देते,
हम सारे हिंदुस्तानी है।
आजादी का रंगीन त्यौहार
हमारे स्वतंत्र भारत में इस त्योहार को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस की धूम 1 हफ्ते पहले से ही दिखाई देने लगती है। कही तीन रंगों से बनी रंगोली बिकती है, तो कही तीन रंगों की लाईटें।
पूरे भारत के हर कोने में केवल तिरंगा के ही रंग देखने को मिलते है, ऐसा लगता है पूरा आसमा ही इन तीन रंगों में समा जाता है। हर तरफ खुशी में उत्साह का माहौल होता है।
हर जगह केवल देशभक्ति गीत और देश प्रेम गीत सुनाई पड़ते हैं। पूरा देश इस उत्सव को नाचते-गाते मनाता है। लोग खुद तो झूमते ही हैं, साथ ही अपने आसपास के लोगों को भी अपने साथ थिरकने पर पर मजबूर कर देते हैं।
तिरंगा हमारा शान ए जिंदगी,
वतन परस्ती वफाएं ज़मीं।
देश पे मर मिटना कबूल है हमें,
अखंड भारत के स्वप्न का जुनून है हमें।
स्वतंत्रता दिवस का सुनहरा इतिहास
जब से अंग्रेजों ने भारत पर कब्जा कर लिया था, हम सब अपने ही देश मे गुलाम हो गए थे। हमारे देश की किसी भी चीज जैसे- धन, अनाज, जमीन पर हमारा कोई अधिकार नहीं था। ग्लू गन से मनमाना लगान वसूल, टैक्स पर मनमाने ढंग से खेती भी कर आत थे मगर जब भी उनका विरोध किया जाता तो लोगों को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती। जैसे-जलियांवाला बाग हत्याकांड।
अंग्रेजों ने भारत को बहुत बुरी तरह से लूटा। जिसका एक सबसे बड़ा उदाहरण व कोहिनूर हीरा है, जो आज भी इंग्लैंड में है।भारत वासियों पर अंग्रेजों के अत्याचार की कहानियां कम नहीं है और ना ही कमी है हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के साहसपूर्ण आंदोलनों की। उनके ही प्रयासों का परिणाम है कि आज हमारा भारत स्वतंत्र है।
आजादी की कभी शाम ना होने देंगे,
शहीदों की कुर्बानी बदनाम ना होने देंगे।
बची है जब तक एक बूंद भी गरम लहू की,
तब तक भारत मां का आंचल नीलाम ना होने देंगे।
स्वतंत्रता दिवस पर भाषण
- भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी ने कहा था, कि हमारे पूर्व महान और विशाल देश के अधिकार को हमने एक ही संविधान और संघ में पाया है। जो देश में रहने वाले 320 लाख पुरुषों और महिलाओं के कल्याण की जिम्मेदारी लेता है।
- हमारे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था, कि अगर देश को महान भ्रष्टाचार मुक्त और अच्छे ज्ञान वाले लोगों से बनाना है, तो मुझे लगता है कि सोसाइटी से जुड़ी कुछ चीजें हैं जो बदलाव ला सकती हैं। यह है माता-पिता और शिक्षक।
- भारत के नागरिक होने के कारण हमारी जिम्मेदारी है, कि जितना हो सके हम इस देश को सफल बनाने में अपना योगदान दें।
- सबसे बड़ी बात यह है कि हमें अपने स्वतंत्रता के महत्व को समझना चाहिए।
- जब बहुत ही शर्म की बात है कि इतने वर्षों के आजादी के बाद भी आज हम अपराध भ्रष्टाचार और हिंसा से लड़ रहे हैं।
- अब हमें दोबारा मिलकर अपने देश को इन बुरी चीजों से दूर करना होगा और इसे एक सफल विकसित और स्वच्छ देश बनाना होगा।
- आप हम सब लोग मिलकर इस देश को विश्व मे सबसे आगे ले जाना होगा।
- देश में बुरा सोचने वालों को दूर हटाना होगा।
शेर के शिकंजे से उसका शिकार छीन ले,
शिकारी के हाथों से उसका शमशीर छीन ले,
और एक भी हिंदुस्तानी के रगों में खून है जब तक,
किसकी मजाल है जो हमसे हमारा कश्मीर छीन ले।
15 August Par Nibandh 400 Words
प्रस्तावना
15 अगस्त का दिन हमारे भारतीय लोकतंत्र और भारतीयों के लिए बहुत खास दिन है। इसी दिन हमें अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी। लगभग 200 वर्षों के बाद हमारा देश अंग्रेजों के अत्याचार और गुलामी से 15 अगस्त सन 1947 को पूर्ण रूप से आजाद हुआ था।
यह भारत के लिए बहुत खास और सुनहरा दिन है और हम सब मिलकर आजादी के इस दिन को बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं। आज हमारे देश को आजाद हुए 74 साल पूरे हो गए, लेकिन आज भी जब हम उन पलों को याद करते हैं तो हमारी आंखें नम हो जाती हैं।
अधिकार मिलते नहीं,
लिए जाते हैं।
आजाद है मगर,
गुलाम किए जाते हैं।
वंदन करो उन सेनानियों का,
जो मौत को आंचल में लिए जाते हैं।
स्वतंत्र भारत में आजादी का पर्व
जब से हमारे देश को आजादी मिली है और हमारे देश का बंटवारा हुआ, तब से हम हर साल स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। इस दिन को हम हर साल इसलिए मनाते हैं, ताकि उन वीर जवानों को हम याद कर सके जिन्होंने हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया।
पूरे देश की एकता ही एक कारण थी हमारी आजादी का, लेकिन हमारे देश के कुछ प्रमुख देशभक्त ऐसे थे जो ज्यादा प्रकाश में आए थे, जैसे – भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस आदि। देशभक्ति के इस क्षेत्र में महिलाएँ भी कम पीछे नहीं थी, जैसे – एनी बेसेंट, सरोजनी नायडू आदि।
वतन से मोहब्बत इस कदर बेमिसाल कर दूं,
बदन का एक-एक कतरा कुर्बान कर दूं।
मुझे सौ जन्म भी दे – दे खुदा कि,
हर एक जन्म वतन के नाम कर दूं ।
स्वतंत्रता दिवस पर भाषण
- आज हम सभी यहां पर अपने देश का 74 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए उपस्थित हुए हैं।
- हमारे जीवन में आज का दिन बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन हमारे देश को आजादी मिली थी। 15 अगस्त वही ऐतिहासिक दिन है, जिस दिन हमें अंग्रेजों से उनकी सरकार की गुलामी से आजादी मिली थी।
- स्वतंत्रता दिवस के दिन की हमें आजादी से खुली हवा में सांस लेने का मौका मिला था।
- 15 अगस्त के दिन हम उन सभी लोगों को याद करते हैं, जिन्होंने जिन्होंने हमें आजाद करवाने में अपना सर्वस्व निछावर कर दिया। क्योंकि अगर वह अपना बलिदान ना करते, तो शायद आज भी हम उस गुलामी की बेड़ियों में जकड़े होते। 15 अगस्त 1947 के दिन 45 करोड़ भारतवासियों को विदेशी हुकूमत से आजादी मिली थी। 14 अगस्त 1947 की रात्रि को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने भाषण देश विदेश नीति के साक्षात्कार में हमारी आजादी की औपचारिक घोषणा की थी।
- अगले दिन 15 अगस्त 1947 को उन्होंने लाल किले पर तिरंगा फहराया था और देश ने पहली बार आजादी की खुली हवा में सांस लिया था।
- यह भारत का स्वर्णिम दिन था जब हमारा देश आजाद हो गया था।
स्वतन्त्रता दिवस पर कविता
प्यारा प्यारा मेरा देश,
सबसे न्यारा मेरा देश।
दुनिया जिस पर गर्व करें,
ऐस सितारा मेरा देश।
चांदी – सोना मेरा देश,
सफल-सलोना मेरा देश।
गंगा-जमुना की माला का,
फूलों वाला मेरा देश।
आगे जाए मेरा देश,
नित मुस्काए मेरा देश।
इतिहास में बढ़-चढ़कर,
नाम लिखाए मेरा देश।
स्वतंत्रता संघर्ष में स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान
गांधी जी हमारे स्वतंत्रता सेनानियों में से कभी काफी अहम भूमिका निभाते हैं। आजादी के लिए संघर्ष में उनका अमूल्य योगदान था और वह सबसे लोकप्रिय भी थे।
उन्होंने सभी को सत्य व अहिंसा का पाठ पढ़ाया और वह अहिंसा ही थी, जिसके कारण कमजोर से कमजोर व्यक्ति के जीवन में भी उम्मीद के दीपक जलने लगे। गांधीजी सभी को साथ लाने में सफल हुए, जिसके कारण आजादी की लड़ाई थोड़ी आसान हो गई।
लोगों के मन में उनके लिए इतना प्यार था, कि लोगों ने प्यार से ‘बापू‘ कहकर बुलाते थे।
साइमन कमीशन के विरोध में जब सभी स्वतंत्रता सेनानी शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे, इसी बीच अंग्रेजों ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया और इससे लाला लाजपत राय की मौत हो गई। इस घटना से नाराज होकर भगत सिंह, खुशदीप और राजगुरू ने अंग्रेजो के खिलाफ खुल कर विद्रोह कर दिया।
इसलिए अंग्रेजों ने उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया, लेकिन मरते-मरते भी उन स्वतंत्रता सेनानियों के मुंह से केवल एक ही बात निकली- भारत माता की जय, भारत माता की जय।
आजादी की इस लड़ाई में सैकड़ों ऐसे नाम है, (जैसे – सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, गणेश शंकर विद्यार्थी, राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद आदि ) जिनके योगदान अतुलनीय है।
देशभक्तों से ही देश की शान है,
देशभक्तों से ही देश का मान है।
हम उस देश के फूल है यारों,
जिस देश का नाम हिंदुस्तान है।
निष्कर्ष
जैसा कि स्वतंत्रता दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है और इस दिन के लिए राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। तथा स्कूल एवं कॉलेज, सरकारी कार्यालय, सभी बंद रहते हैं।
लेकिन यह लोगों का उत्साह है, जो इस दिन को मनाने के लिए सब एकजुट होते और बड़े ही हर्षोल्लास के साथ हर साल स्वतन्त्रता दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है। तिरंगा फहराया जाता है और मिठाइयां बांटी जाती हैं।
दे सलामी इस तिरंगे को,
जिस-से तेरी शान है।
सर हमेशा ऊंचा रखना,
जब तक दिल में जान है।
स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 500 शब्दों में
रात के अंधेरों में जब तक,
रुतबा रहेगा चांद का।
कारगिल की चोटियों पर जब तक,
तिरंगा फहरता रहेगा शान का।
धरती क्या आसमान में भी डंका,
बजेगा हिंदुस्तान के नाम का।
प्रस्तावना
भारत के राष्ट्रीय त्योहारों में से एक है, हमारा स्वतंत्रता दिवस। यह एक ऐसा दिन है, जब हमारे देश को आजादी मिली थी और हमारा संपूर्ण भारत देश आजाद हुआ था। आजादी के बाद भारत का कोई भी वासी गुलाम नहीं था, ना ही शारीरिक रूप से और ना ही मानसिक रूप से।
सभी को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त थी। सभी को खुलकर बोलने, लिखने, पढ़ने, घूमने तथा हर क्षेत्र में आजादी मिल गई थी। 15 अगस्त वही तारीख है, जिस दिन हमारे देश की स्वतन्त्रता के इतिहास को सुनहरे अक्षरों में लिखा गया था।
भारतवर्ष में स्वतंत्रता दिवस का इतिहास
लगभग 200 वर्षों के बाद हमारा देश अंग्रेजों के अत्याचारों व गुलामी से 15 अगस्त 1947 को पूर्ण रूप से स्वतंत्र हुआ था। इसलिए यह दिन हिंदुस्तानियों के लिए बहुत ही खास व सुनहरा दिन है।
1. अंग्रेजों का भारत में प्रवेश
आज से लगभग 400 वर्ष पहले अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से आई थी। यह तब की बात है, जब पाकिस्तान का कोई वजूद नहीं था।
पाकिस्तान तब भारत का एक हिस्सा हुआ करता था। केवल पाकिस्तान ही नहीं बल्कि बांग्लादेश भी उस समय भारत का ही एक हिस्सा था। अंग्रेज भारत में व्यापार का उद्देश्य लेकर आए थे, लेकिन धीरे-धीरे करके उन्होंने यहां की कमजोरी, गरीबी और मजबूरी का फायदा उठाना शुरू कर दिया।
अंग्रेजों ने भारत में अपनी कूटनीति का इस्तेमाल किया और यहां के लोगों को अपना गुलाम बनाने लगे। ये लोग फिर भारतवासियों पर अत्याचार करने लगे। उन्होंने शुरुआत में गरीबों और मजदूरों को कर देना शुरू किया और उनकी गरीबी का फायदा उठाते हुए उन्हें अपने कर्ज तले दबाते के चले गए।
जो लोग कर्ज ना चुका पाते ये उन्हें अपना गुलाम बना लेते हैं और उन पर अत्याचार करते हैं, उनसे मनमौजी काम करवाते हैं। धीरे-धीरे करके उन्होंने एक-एक राज्य पर नियंत्रण करना चालू किया और एक समय ऐसा आया जब इनका अधिकार पूरे भारतवर्ष पर हो गया। भारतीय इनके गुलाम बनकर ही रह गए।
किसी को लगता,
हिंदू खतरे में है।
किसी को लगता,
मुस्लिम खतरे में है।
धर्म का चश्मा उतार कर देखो यारों,
पता चलेगा हमारा हिंदुस्तान खतरे में है।
2. अंग्रेजों के विरुद्ध भर्तियों का गुस्सा
अंग्रेजों ने जब से पूरे भारत पर कब्जा किया था, यहां उनकी हुकूमत चलने लगी थी। भारतीयों के प्रति उनका रवैया तथा अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था।
वे लोगों से 2 गुना, 3 गुना लगान वसूल करते थे। उन्हें शारीरिक और मानसिक पीड़ा पहुंचाते थे, इसलिए भारतीयों में उनके प्रति गुस्सा और बदले की आग भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी।
इस रवैए के विरोध में सबसे पहले सन् अट्ठारह सौ सत्तावन (1857) ईसवी में मंगल पांडे ने विद्रोह किया। उनके विद्रोह से अंग्रेजों को चिंता हुई और इसलिए मंगल पांडे को फांसी की सजा सुनाई गई।
किंतु मंगल पांडे की मृत्यु ने लोगों के अंदर क्रांति की ज्वाला भड़का दी और लोगों में गुस्सा तथा आक्रोश और भी ज्यादा तेजी से बढ़ गया। परिणाम यह निकला कि एक मंगल पांडे के मरने पर दस और मंगल पांडे विद्रोही के रूप में सामने आए और एक के बाद एक नए आंदोलन शुरू हो गए।
कहते हैं अलविदा इस जहान को,
जाकर खुदा के घर से अब ना आया जाएगा।
हम ने लगाई है जो आग इंकलाब की,
इस आग को किसी से बुझाया ना जाएगा।
3. भारत वासियों की आजादी की मांग
जब भारत वासियों के अंदर सब्र धीरे-धीरे खत्म होने लगा। सभी लोगों में अंग्रेजों के अत्याचार के कारण गुस्सा बढ़ता जा रहा था। आब लोगों का कहना था, कि हमें आजादी किसी भी कीमत पर चाहिए और अंग्रेजों को भारत छोड़ना ही पड़ेगा।
लोगों ने कई प्रकार से तरह-तरह के आंदोलन अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आरंभ कर दिए। सबसे पहले मंगल पांडे ने आजादी की मांग की और उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी। झांसी की रानी ने भी आजादी के लड़ते-लड़ते अपनी जान गवाई थी। धीरे-धीरे पूरे भारत में आजादी की आवाज उठाई जाने लगी।
हर एक में साहस,
पर्वत हिलाने की।
फिर भी करें कोशिश,
शांति से समझाने की।
कोई भी धमकाए अगर,
भूल से भी हमें तो।
इन बाजुओं में दम है,
उसे मिट्टी में मिलाने की।
स्वतंत्र स्वतंत्रता दिवस पर भाषण
- आप सभी को मेरा सुप्रभात। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आज स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में हम सभी यहां एकत्र हुए हैं। यह दिन हमारे लिए बहुत ही बड़े उत्साह, खुशी व गर्व से भरा हुआ है।
- आज हम आप सभी को इस दिवस के विषय में कुछ जानकारी देना चाहते, जिसे सुनकर आपको भी अपने देश पर गर्व होगा।
- हमें 15 अगस्त 1947 को पूर्ण स्वराज की प्राप्ति हुई थी।
- “आजादी के इस दिन को अब हर साल स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाएगा” यह ऐलान हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
- इस वर्ष 2021 को हम अपना 74 वा स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं।
- आजादी मिलने के बाद हमारे देश का वातावरण पूर्ण रूप से परिवर्तित हो गया।
- अब सभी नागरिकों को अपने अधिकार प्राप्त हो गए तथा हर व्यक्ति अपनी बात बिना किसी डर के स्वतंत्रता पूर्वक रख सकता था।
- हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों ने कड़ी मेहनत के द्वारा तथा कठिन संघर्षों के द्वारा हमारे भारत को पूर्ण स्वराज दिलाया था।
- स्वतंत्रता सेनानियों ने हमारे देश के लिए संघर्ष किया, ताकि हमें वह जुल्म ना सहना पड़े, जिसे वह लोग स्वयं सह चुके हैं।
- आज भारत जितनी भी उन्नति कर रहा है, उसका श्रेय स्वतंत्रता सेनानियों को है।
- जिन्होंने हमें आजादी दिलाई, क्योंकि अगर वह ऐसा ना करते तो आज भी हमारा भारत देश ब्रिटिश शासन के अधीन उनका गुलाम होता।
स्वतंत्रता दिवस पर कविता
आजादी के साल हुए कई,
पर क्या हमने पाया है।
सोचा था क्या होगा लेकिन,
सामने यह क्या आया है।
रामराज्य सा देश को अपना,
बापू का था ये सपना।
चाचा बोले आगे बढ़कर,
कर लो सबको अपना-अपना।
आजादी फिर छिने ना अपनी,
दिया शास्त्री ने नारा।
आजादी का जश्न
15 अगस्त 1947 से लेकर आज तक हम इस दिन को आजादी के 1 बड़े उत्सव के रूप में मनाते हैं। स्वतंत्रता दिवस पूरा भारत वर्ष मनाता है और सभी देशवासी देश के प्रति अपने कर्तव्य को निभाने की शपथ भी लेते हैं। यह दिन देश के कोने-कोने में मनाया जाता है।
सभी सरकारी, निजी संस्थान, स्कूल, ऑफिस और कारखानों में भी इस जश्न की रौनक देखने को मिलती है। मुख्यतः इस जश्न का सबसे बड़ा स्वरूप दिल्ली के लाल किले पर देखने को मिलता है।
इस दिन प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम होता है तथा कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन पूरा देश देशभक्ति में डूबा रहता है।
आन देश की शान देश की,
देश की हम संतान है।
तीन रंग से रंगा तिरंगा,
अपनी यह पहचान है।
निष्कर्ष
15 अगस्त को हम राष्ट्रीय ऐतिहासिक दिवस के रूप में मनाते हैं और इसे स्वतंत्रता दिवस के नाम से भी जाना जाता है। सभी सरकारी व प्राइवेट स्कूलों-कॉलेजों में, संस्थानों तथा कारखानों में, आदि हर जगह इस त्यौहार की धूम दिखाई देती है और देशभक्ति की गीत सुनाए देते हैं।
लोगों के पास तिरंगा झंडा होता है, और कुछ लोग तो तिरंगे कपड़े भी पहनते हैं। सभी एक – दूसरे को आजादी की बधाई देते हैं और उनका मुंह मीठा कराते हैं।
करता हूं भारत मां से गुजारिश
कि तेरी भक्ति के सिवा कोई बंदगी ना मिले,
हर जन्म मिले तो हिंदुस्तान की पावन धरा पर।
या फिर कभी जिंदगी ना मिले।